नागपूर | 13 ऑक्टोबर 2021
केंद्रीय कृषी आणि शेतकरी कल्याण मंत्रालयच्या अंतर्गत नागपूरच्या सिवीललाईन्स स्थित नवीन सचिवालय भवन येथील केंद्रीय एकात्मिक कीड व्यवस्थापन केंद्र (आर.सी.आई.पी.एम.सी.) नागपूरतर्फे धानशेतीवर दोन दिवसीय मानव संसाधन विकास आधारित कार्यक्रमाचे आयोजन गोंदीया जिल्ह्याच्या कृषी विज्ञान केंद्र हिवरा, येथे दिनांक 11 व 12 ऑक्टोबर दरम्यान आयोजित करण्यात आला होता.या कार्यक्रमाचे प्रमुख अतिथी आर.डी. चौहान, कृषी विज्ञान केंद्र, हिवरा, गोंदिया. आणि तालुका कृषी अधिकारी श्री.डी.एल. तुमडाम होते.
एकात्मिक कीड व्यवस्थापनाबद्दल आर.सी.आई.पी.एम.सी.चे प्रमुख डॉ.ए.के. बोहरिया यांनी टोळ नियंत्रणावर माहिती दिली . जेव्हा शेतात गरज असेल तेव्हा एकाच वेळी रासायनिक कीटकनाशकांचा वापर करा. ज्यामुळे शेतकऱ्यांना पिकांच्या खर्चामध्ये बचत करता येईल आणि पर्यायाने कमी पर्यावरणीय प्रदूषण होईल आणि या व्यतिरिक्त, कीटक रसायनांविरूद्ध हानिकारक कीटकांच्या आत निर्माण झालेली प्रतिकारशक्ती तेथे राहणार नाही. कमीतकमी रसायनांचा वापर करून आपल्या पिकांचे कीटकांपासून संरक्षण करू शकता. आणि याद्वारे शुद्ध अन्नधान्य आणि अन्नधान्य शेतकरी मिळवू शकतात असे डॉ. बोहरिया यांनी सांगितल
आर.सी.आई.पी.एम.सी.चे उपसंचालक डॉ शिवाजी हरिदास वावरे यांनी सांगितले की, रासायनिक कीटकनाशकांचा वापर नेहमी पिकांमध्ये सिद्ध आणि सुरक्षित स्वरूपात केला पाहिजे. डॉ.मनीष मुंडे सहाय्यक संचालक, यांनी धानामधील कीटकांची ओळख आणि व्यवस्थापनाबद्दल आपले मत व्यक्त केले. डॉ सुरेश नायक, गिरीश, छाया पासी, यांनीही कार्यक्रमात तांत्रिक उपक्रमांमध्ये भाग घेतला आणि शेतकऱ्यांना ट्रायकोडर्मा आणि ट्रायकोग्रामाच्या वापराबद्दल तंत्र समजावून सांगितले . कार्यक्रमाला हिवरा गावातील शेतकरी उपस्थित होते.
केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र नागपुर क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा धान पर दो दिवसीय मानव संसाधन विकास आधारित कार्यक्रम का गोंदिया में आयोजन
केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र नागपुर (क्षेत्रीय कार्यालय), भारत सरकार, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, (कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग), वनस्पति संरक्षण संगरोध एवं संग्रह निदेशालय की तरफ से धान पर दो दिवसीय मानव संसाधन विकास पर आधारित कार्यक्रम आयोजित किया गया । इस कार्यक्रम का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र गांव हिवरा, तालुका एवं जिला गोंदिया में दिनांक 11से 12 अक्तुबर तक किया गया.
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री आर.डी. चौहान, कृषि विज्ञान केंद्र, गांव- हिवरा, जिला- गोंदिया । तथा तालुका कृषि अधिकारी श्री डी.एल.तुमडाम उपस्थित थे। श्री चौहान ने बताया कि, धान में एकीकृत नासीजीव प्रबंधन के बारे में तथा आर.सी.आई.पी.एम.सी. कार्यालय के कार्यालय प्रमुख डॉ ऐ. के. बोहरिया उप निदेशक (कीट विज्ञान) ने किसानों तथा पेस्टिसाइड डीलरों का आई पी एम के बारे में विशेष ध्यान आकर्षित किया । टिड्डी नियंत्रण पर भी व्याख्यान दिया,और बताया कि आई पी एम की चार विधियां के बारे में जैसे की नंबर 1) व्यवहारिक पद्धति 2) यांत्रिक पद्धति 3) जैविक पद्धति 4) रासायनिक पद्धति को किसनो के स्तर पर लागू करवाना है। जिसके दौरान यह बताया गया कि खेत में जब जरूरत हो जहां जरूरत हो उसी समय रसायन कीटनाशकों का उपयोग करना।जिससे किसानों को अनेक फायदे होंगे। तथा फसल की लागत में कमी होगी,वातावरण प्रदूषण कम होगा, और मानव संबंधित रोग कम होंगे। और इसके अलावा जो हानिकारक कीटों के अंदर प्रतिरोधक क्षमता कीट रसायनों के प्रति पैदा हो जाती थी वह नहीं हो होगी । कम से कम रसायन का प्रयोग करके अपनी फसलों को कीड़ों से बचा सकते हैं । और इससे हमें शुद्ध अनाज एवं खाद्यान्न मिल सकेंगे ।
इसके बाद आरसीआईपीएमसी, नागपुर से उपनिदेशक डॉ शिवाजी हरिदास वावरे ने बताया कि फसलों में हमेशा प्रमाणित एवं सुरक्षित रूप में रासायनिक कीटनाशक का उपयोग करना चाहिए। उसके बाद डॉ. मनीष के मुंडे सहायक निदेशक, ने धान में लगने वाले कीटों की पहचान एवं उनके प्रबंधन के बारे में अपने विचार व्यक्त किए । तथा डॉ सुरेश नायक श्री गिरीश, कुमारी छाया पासी, श्री एसएस टॉक एपीपीओ इत्यादि ने कार्यक्रम में तकनीकी गतिविधियों में भाग लिया तथा ट्राइकोडर्मा तथा ट्राइकोग्रामा के उपयोग के बारे में किसानों को तकनीकी के बारे में बताया और इस प्रकार कार्यक्रम संपन्न हुआ.
Two day human resource development based program on paddy farming in Gondia