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मंगळवार, फेब्रुवारी ११, २०२०

कोरोना वाइरस का मुर्गियों पर असर नहीं:भारत सरकार से पत्र जारी

नागपुर:

. पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर कोरोना वाइरस का ब्रायलर्स मुर्गियों पर भी असर होने का फर्जी पोस्ट वायरल हो रहा है, लेकिन इसे कोई भी वैज्ञानिक आधार नहीं होने का खुलासा पशु व मत्स्य विज्ञान विवि के उपकुलपति प्रा. आशीष पातुरकर ने किया. माफसू के राष्ट्रीय सेवा योजना के विद्यार्थियों द्वारा विविध स्तर पर फर्जी पोस्ट के विरोध में प्रचार किया जाएगा. ताकि लोगों को सही जानकारी मिल सके. सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट वायरल हो रहे हैं,

जिनमें बताया जा रहा है कि चिकन खाने से कोरोना वाइरस का असर हो सकता है, साथ ही तरह-तरह की बीमारियों के बारे में भी अफवाह फैलाई जा रही है. प्रत्यक्ष रूप से भारत में मुर्गियों पर कोराना वाइरस के प्रभाव की कोई भी घटना सामने नहीं आई है. सोशल मीडिया पर पक्षियों के शव विच्छेदन के फोटो प्रसारित किये जा रहे हैं, लेकिन इसमें जरा भी सच्चाई नहीं है. भारत में मांसाहार तैयार करने की पद्धति सर्वाधिक सुरक्षित है.

चिकन या मटन को उबाल कर पकाया जाता है. पानी भी १०० डिग्री तापमान तक उबलता है. इतने तापमान में कोई भी वाइरस जीवित नहीं रह सकता, क्योंकि कोई भी वाइरस प्राय: २७ से ४५ डिग्री से अधिक तापमान में जीवित नहीं रह पाता. भारत में मांसाहारी पदार्थ पकाते समय हल्दी आदि औषधि गुणधर्म के मसालों का उपयोग किया जाता है. इस वजह से आंत तक चिकन-मटन से किसी वाइरस के फैलने और बीमार होने का उल्लेख भारत में नहीं है.

       
 
सरकार विशेष सेल स्थापित करें : सांसद डा. महात्मे
इस बीच सांसद डा. विकास महात्मे ने राज्यसभा में कोरोना वाइरस पर गंभीर चिंता व्यक्त की. श्वसन के माध्यम से होने वाली इस संक्रामक बीमारी पर नियंत्रण के लिए देश को सतर्क रहना चाहिए. इसके लिए सरकार द्वारा एक विशेष सेल स्थापित करने की मांग की. शून्यकाल में उठाये गये इस मुद्दे पर कहा कि केंद्र सरकार ने कोरोना वाइरस के बचाव के लिए अच्छे उपाय किये हैं. देश में अब तक कई मरीज भी मिले हैं.

यह वाइरस तेजी से फैल रहा है, लेकिन अब तक इसकी दवाइयां उपलब्ध नहीं हैं. बीमारी के बारे में लोगों और चिकित्सकों में जागरूकता की जरूरत है. सभा और प्रदर्शन स्थल पर मास्क का नि:शुल्क वितरण किया जाना चाहिए. आयुर्वेद जैसे भारतीय पारंपरिक चिकित्सा से भी बीमारी को मात दिया जा सकता है. इसके लिए आयुष मंत्रालय के अंतर्गत एक विशेष कोष स्थापित किया जाना चाहिए.

कोरोना वाइरस के बारे में अनुसंधान के लिए सरकार द्वारा व्यवस्था की जाये, केवल कोरोना वाइरस ही नहीं बल्कि हर देश में किसी न किसी संक्रामक बीमारी का प्रकोप होता है. इससे पहले भी निफा, स्वाइन फ्लू आदि बीमारियों से लोगों को जान गंवाना पड़ा है. इन परिस्थितियों का सामना करने के लिए एक पथक सदैव तत्पर रहना चाहिए.

सेवा:नवभारत समाचार 


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