संवादाता/कारंजा (घाडगे):
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप और उसके बचाव में लागू लॉकडाउन के बीच लोगों के अपने गांवों की तरफ जाने का सिलसिला जारी है. पैदल और साइकिलों के बाद अब लोग ट्रकों में भरकर जा रहे हैं. बंद ट्रक के भीतर बच्चों और महिलाएं भी शामिल हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि यहां एक व्यक्ति का किराया है तीन हजार से चार हजार रूपये वसुल कर एक ट्रक में 75से अस्सी प्रवासी मजदुरों को भुसे जैसा भर कर ढोया जा रहा है.
इनमे यात्रा कर रहे श्रमिक यात्रीयों से कारंजा शहर मे राष्ट्रीय महामार्ग के निकट लगे हुए लंगर मे पुंछने पर बताया की, क्या करें! कंपनीया बंद है, रोजगार मिल नही रहा, सरकार खाना केंद्र सी है पर कब तक मुफ्त मे हम रोटी चावल खाते रहेंगे हम मजदूर है. शरणार्थी नही है. अब काम नही है आगे बरसात आने वाली है, पहलेही काल कालखाने बंद है उपर से बारिश अब हमे अपने गांव ही जाना है!
महाराष्ट्र से ट्रकों में भर-भरकर यूपी जा रहे प्रवासी मजदूर
पलायन की स्थिति दिनों दिन भयावह होती जा रही है. यूपी में सबसे ज़्यादा पलायन महाराष्ट्र तथा गुजरात से हो रहा है. मुंबई, नाशिक, ठाणे क्षेत्र तथा गुजरात के कारखानों मे उ प्र, बिहार के मजदुरों की संख्या अधिक है, विगत चार दिनों से मुंबई -कलकक्ता तथा मुंबई वाराणशी राज मार्ग संख्या 06 पर से दिन रात ट्रकों मे भर कर उ प्र के ओर जाने वाले ट्कों की संख्या अधिक है. हर गाड़ी में मज़दूरों को भूसे जैसा लादकर लाया जा रहा है.
ट्रक के मालिक प्रति व्यक्ति 4500 से 5000 रुपये ले रहे हैं. यानी एक ट्रक में अगर 50 लोग सवार हैं तो डेढ़ से भाई से तिन लाख रुपयों में ट्रक रिज़र्व करके लायी जा रही है. हर मज़दूर का आरोप है कि महाराष्ट्र में खाने को मिल राहा पर कोई कबतक खिलायेगा, हम मेहनत करने वाले मजदूर है. शरणार्थी नही.अब कोरोना के चलते ना काम है और न ही काम की गारंटी कारखानेवालो की तरफ से कोई सुविधा मिल रही है.
एक ट्रक को पहुंचने में करीब 3 दिन लग रहे हैं. ट्रक ड्राइवरों ने भी बताया कि मुम्बई से लेकर यूपी तक हाइवे पर सिर्फ मज़दूर ही मज़दूर हैं. यानी ट्रक मालिकों के लिए सामान ढोने से ज़्यादा फ़ायदेमन्द धंधा मज़दूरों को ढोने का है.ट्रकों में 50 से अधिक ही यात्री भरकर दिनरात तेज गती से दौडाये नजर आ रहे है.
कोई कोई ट्रक पर उपर लदे यात्रीयों को चेक पोष्ट पर ट्रक के उपर लदे यात्रीयों को निचे डाले में बैठाकर चालक को तेज वाहन ना दौडाने का सुझाव दिया जाता है.
मुंबई के साथ ही गुजराथ से भी बडे पैमाने पर प्रवासी मजदुरों को ट्रकों मे भरकर उ प्र ढोया जा रहा है.