रिपोर्टर- पप्पू लाल कीर ( राजसमंद )
राजसमंद। प्रज्ञा विहार तेरापंथ भवन युग प्रधान आचार्य महाश्रमण की सुशिष्या साध्वी मंजुयशा के पावन सान्निध्य में तेरापंथ धर्म संघ के आद्यप्रवर्तक आचार्य भिक्षु का 292वा जन्मदिवस एवं 265 वा बोधि दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। इस कार्यक्रम में काकरोली के आसपास क्षेत्र बोरज, धोइन्दा, भाणा मोही आदि क्षेत्र से भी भाई-बन उपस्थित थे।
कार्यक्रम साध्वी श्री जी के नमस्कार महामंत्र के मंगल पाठ से प्रारंभ हुआ। तेरापंथ सभा काकरोली के अध्यक्ष प्रकाशसोनी ने अपने आराध्य के प्रति भावों का समर्पित करते हुए सभी साध्वी का पूरे तेरापंथ समाज की ओर से हार्दिक अभिनंदन एवं गुरुदेव महाश्रमण के प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित की |
साध्वी श्रीजी ने अपने आराध्य आचार्य भिक्षु के प्रति श्रद्धासुमन समर्पित करते हुए अपने उद्बोधन में कहा भारत की पुण्य धरा पर अनेक ऋषि- महाऋषि हुए उन्होंने अपनी त्याग तपस्या एवं साधना के द्वारा इसे पवित्र एवं निर्मल बनाया है उन्हीं ऋषि- महर्षि की कड़ी में नाम आता है- आचार्य शिशु का जिन्होंने अपनी प्रखर साधना से त्याग तपस्या एवं क्रान्तिकारी विचारों से जन जन में आध्यात्मिक आलोक फैलाया। वे एक क्रान्तिकारी पुरुष थे। जिनवाणी के प्रति उनकी अटूट आस्था थी ।
पंचाचार की उन्होंने निर्भल आराधना की उनका मात्र एक उद्देश्य था आत्मकल्याण का। उन्होंने जो क्रान्ति की और . अनेक विरोध अनेक कष्टों को सहन किया। आगमों को उन्होंने तलरूपर्शी अध्ययन किया उससे जो उन्हें सत्य का आलोक मिला जो अन्तर का बोध मिला उसी और उनके चरण चल पड़े | आत्मा का साक्षात्कार "होने से ही उस दिवस को बोधि दिवस के रूप में मनाया जाता है | साध्वी श्री जी ने बड़े विस्तृत रुप से घटना क्रम को प्रस्तुत किया। साध्वी श्री जी ने एक मधुर गीत का सामूहिक संगान कर सभी को भाव विभोर कर दिया।
साध्वी श्रीजी ने अपने आराध्य आचार्य भिक्षु के प्रति श्रद्धासुमन समर्पित करते हुए अपने उद्बोधन में कहा भारत की पुण्य धरा पर अनेक ऋषि- महाऋषि हुए उन्होंने अपनी त्याग तपस्या एवं साधना के द्वारा इसे पवित्र एवं निर्मल बनाया है उन्हीं ऋषि- महर्षि की कड़ी में नाम आता है- आचार्य शिशु का जिन्होंने अपनी प्रखर साधना से त्याग तपस्या एवं क्रान्तिकारी विचारों से जन जन में आध्यात्मिक आलोक फैलाया। वे एक क्रान्तिकारी पुरुष थे। जिनवाणी के प्रति उनकी अटूट आस्था थी ।
पंचाचार की उन्होंने निर्भल आराधना की उनका मात्र एक उद्देश्य था आत्मकल्याण का। उन्होंने जो क्रान्ति की और . अनेक विरोध अनेक कष्टों को सहन किया। आगमों को उन्होंने तलरूपर्शी अध्ययन किया उससे जो उन्हें सत्य का आलोक मिला जो अन्तर का बोध मिला उसी और उनके चरण चल पड़े | आत्मा का साक्षात्कार "होने से ही उस दिवस को बोधि दिवस के रूप में मनाया जाता है | साध्वी श्री जी ने बड़े विस्तृत रुप से घटना क्रम को प्रस्तुत किया। साध्वी श्री जी ने एक मधुर गीत का सामूहिक संगान कर सभी को भाव विभोर कर दिया।
इस अवसर पर साध्वी चिन्मयप्रभा, साध्वी चारूप्रभा एवं
साध्वी इन्दु प्रभा ने भाषण कविता आदि द्वारा अपनी भावना व्यक्त की । 'तेरापंथ कन्यामण्डल की बहनों ने तनुश्री मेहता, महक
कोठारी, गुंजन पगारिया, किंजल धींग, आकांक्षा गांग, सीमा जैन, मुस्कान पगारिया, स्नेहा पगारिया, मौनिका बापना आदि कन्याओं ने एक सुन्दर प्रस्तुति दी जिसका विषय था- सत्य का आलोक- दृष्यन्तों के झरोखे से” इस प्रस्तुति द्वारा रोचक प्रस्तुति से पूरी परिषद को भाव विभोर कर दिया।
तेरापंथ महिला मण्डल की बहनों ने बहुत ही मधुर स्वर लहरी में गीत की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन साध्वी चिन्मयप्रभा ने किया।कार्यक्रम में उपस्थिति सराहनीय रही । मंगलपाठ से कार्यक्रम का समापन हुआ।