नागपूर/संवाददाता:
ॲपोकॅलिप्टीक वायरस कोरोना से ज्यादा खतरनाक हो सकता है,और इसे पोल्ट्री फार्म जिम्मेदार होंगे यह ऑस्ट्रेलियन वैज्ञानिक माइकल ग्रेगरी का दावा गलत है,ऐसा दावा मुंबई वेटनरी कॉलेज के डीन और पोल्ट्री वैज्ञानिक डॉ.अजीत रानाडे ने किया है।
सभी प्रकारके पोल्ट्रीफीड उपलब्ध संपर्क:9175937925 |
कोरोना वायरस की अफवाहों के कारण भारत मे २०२० कि शुरुवात मे अरबो रुपयोका पोल्ट्री व्यवसाय डूब गया। देश में लाखों पोल्ट्री किसानों को रस्ते चौराहोपार खडे रहकर मुफ्त मे मुर्गीया बाट दी.कोरोना कि अफवा खात्म नाही हुई कि जून २०२० के पाहिलेही सप्ताह मे पोल्ट्री में नए वायरस के बारे में अफवा फैलाना शुरू कर दिया। इस खबर से सभी पोल्ट्री किसान चिंतित हुये हैं।
सभी प्रकारके पोल्ट्रीफीड उपलब्ध संपर्क:9175937925 |
पिछले सप्ताहसे मुर्गी पालन में कोरोना वायरस से भी भयंकर ॲपोकॅलिप्टीक वायरस आणे कि खबरे आ रही है. ऑस्ट्रेलिया रिपोर्ट के अनुसार, डाक्टर ग्रेगर का कहना है कि पोल्ट्री फर्म्स (मुर्गी पालन घर) में पनप रहे रोग मानवता के लिए कोरोना से अधिक घातक खतरा हैं। दुनिया की फूड हेबिट के बारे में और भविष्य में इसके कारण होने वाले खतरों के बारे में अपनी पुस्तक ‘हाउ टु सर्वाइव ए पैंडेमिक’ में डाक्टर ग्रेगर ने लिखा है कि जिस तरह से पूरी दुनिया अपनी खान-पान की आदतों को लेकर तेजी से मीट पर निर्भर हो रही है।
इसके चलते हम दुनिया को कोविड-19 से भी अधिक घातक वायरस की जड में डाल रहे हैं। ग्रेगर कहते हैं कि यदि ऐसा ही चलता रहा और हम समय रहते सतर्क नहीं हुए तो आने वाले समय में कोरोना से भी बड़ी महामारी आ सकती है। जिसकी वजह पोल्ट्री फार्म्स में चिकन का मास फार्मिंग होगी। यह महामारी ‘एपोकैलिक वायरस’ के कारण फैलेगी।
सभी प्रकारके पोल्ट्रीफीड उपलब्ध संपर्क:9175937925 |
जो पोल्ट्री फार्म्स में पनप रहे रोगों के कारण मानव जाति के लिए खतरनाक साबित हो सकता है ऐसे बताया । यह खबर संपूर्ण सोशल मिडिया ग्रुप मे तुफान के गती से व्हायरल हो रही है. और देश के सभी पोल्ट्री किसान फिर से चिंतित हो गये।लेकीन ॲपोकॅलिप्टीक वायरस कोरोना से ज्यादा खतरनाक हो सकता है,और इसे पोल्ट्री फार्म जिम्मेदार होंगे यह ऑस्ट्रेलियन वैज्ञानिक माइकल ग्रेगरी का दावा गलत है,ऐसा दावा मुंबई वेटनरी कॉलेज के डीन और पोल्ट्री वैज्ञानिक डॉ.अजीत रानाडे ने किया है।
सभी प्रकारके पोल्ट्रीफीड उपलब्ध संपर्क:9175937925 |
लेकिन अभी कोई एपोकैलिक वायरस मौजूद नहीं है,ऐसे महाराष्ट्र के पशुपालन मंत्री सुनील केदार ने कहा।साथ ही महाराष्ट्र पशु और मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय ने कहा कि एपोकैलिप्टिक वायरस संक्रामक वायरस की सूची में महाराष्ट्र शामिल नहीं है।ओर भारत के कोई इलाके मी अभीतक एपोकैलिप्टिक व्हायरस का नमो निशान तक नही मिला है।
साथ हि इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (oie),जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जानवरों की बीमारियों कीनिगरानी करता है। यह भी कहा है कि इस तरह की बीमारी मौजूद नहीं होणे का स्पष्ट किया. कोरोना के कारण पोल्ट्री व्यवसाय पहले से ही कृषि से जुड़ा हुआ था, उसे आज भारी नुकसान उठाना पड़ा है।इस वजह से परिणामस्वरूप व्यापारी और किसान व्याकुल हो गए हैं। किसानो ने कर्ज लेकर पोल्ट्री का कारोबार शुरू किया था।
लेकीन देश मे पोल्ट्री उद्योग में चिकन से कोरोना होने की अफवाह इस कदर फैलाई गई कि आखिर कार पुरा किसान को कारोबार कई महिने बंद रखना पडा.पोल्ट्री व्यवसाय में महाराष्ट्र देश के अग्रणी राज्यों में से एक है।२०१९ की २० वीं पशु जनगणना के अनुसार, राज्यों में कुक्कुटों की कुल संख्या ७ करोड़ ४२ लाख है।
सभी प्रकारके पोल्ट्रीफीड उपलब्ध संपर्क:9175937925 |
इस मे संगठित क्षेत्र में प्रति अंडे और मनुष्य की संख्या में वृद्धि हुई पक्षियों की संख्या 5 करोड़ 6 लाख है और परिसर में पोल्ट्री पक्षियों की संख्या 2 करोड़ 21 लाख है।कोरोना वायरस के बारे में गलत सूचना के प्रसार ने अंडे और चिकन की मांग को कम कर दिया है, जिससे कीमतों पर भी असर पड़ा है।
महाराष्ट्र सरकार के पशुपालन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, किसानों से अंडे की औसत बिक्री फार्म गेट की कीमत है।1 जनवरी, 2020 को यह 4.67 रुपये प्रति अंडा था और 1 फरवरी को यह घटकर 3.67 रुपये हो गया। लेकिन 11 मार्च को, उनकी कीमत केवल 2.95 रुपये थी। यह देखा गया है कि यह इतना घट गया है।
सभी प्रकारके पोल्ट्रीफीड उपलब्ध संपर्क:9175937925 |
इसके अलावा, राज्य में 1 फरवरी को मंसल पक्षियों की बिक्री 3414.26 मीट्रिक टन थी।और इसकी औसत कीमत 70.84 रुपये प्रति किलोग्राम थी। हालांकि, 9 मार्च को, बिक्री केवल 2137.26 मीट्रिक टन थी और कीमत केवल 15.25 रुपये प्रति किलोग्राम थी।
यह खबर डॉ। माइकल ग्रेगोर द्वारा लिखित एक पुस्तक पर आधारित है और डॉ। माइकल ग्रेगर एक आहार विशेषज्ञ हैं और मानव स्वास्थ्य विशेषज्ञ नहीं हैं.और यह खबर बिना किसी वैज्ञानिक पुष्टि के प्रकाशित हुई थी.विश्वविद्यालय ने उल्लेख किया है कि इससे पता चलता है कि,Apocalyptic वायरस आज मौजूद नहीं है.विचार है कि ऐसा वायरस आ सकता है।यह १ सतर्कता है.
इसी लिये यह खबर पढ कर आप चिंता मे हो कि चिकन खाये या ना खाये तो हम ऐसे राह देंगे कि आज तक ऐसा कोई Apocalyptic वायरस आज मौजूद नहीं चिकन बिलकुल सुरक्षित है।
सफल मुर्गी पालन से संबंधित अधिक वीडियो देखने के लिए
नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें