संरक्षण मंत्री राजनाथ सिंह यांच्या उपस्थितीत नागपुर येथे मल्टी-मोड हँड ग्रेनेडची पहिली खेप भारतीय लष्कराकडे हस्तांतरित
संरक्षण सामुग्री निर्मितीत स्वयंपूर्णता आणण्यासाठी सार्वजनिक-खाजगी भागीदारीचे हे एक उत्तम उदाहरण असल्याचा संरक्षण मंत्र्यांचा निर्वाळा
ठळक वैशिष्ट्ये :
- डीआरडीओ प्रयोगशाळेतून तंत्रज्ञान हस्तांतरणानंतर इकॉनॉमिक एक्सप्लोझिव्ह लिमिटेड कंपनीने तयार केला ग्रेनेड
- मल्टी-मोड हँड ग्रेनेड अधिक अचूकता आणि विश्वासार्हतेसह आक्रमक आणि बचावात्मक दोन्ही प्रकारे काम करतो
- संरक्षण सामुग्री उत्पादन क्षेत्रातील हा एक महत्त्वाचा टप्पा आणि 'आत्मनिर्भर भारत'च्या दिशेने एक मोठे पाऊल असल्याचे संरक्षण मंत्र्यांचे प्रतिपादन
- गेल्या दोन वर्षांत संरक्षणविषयक निर्यातीने 17,000 कोटी रुपयांचा टप्पा ओलांडला
एका महत्वपूर्ण घडामोडीत , नागपूरस्थित इकॉनॉमिक एक्सप्लोझिव्ह लिमिटेड या खाजगी कंपनीने आज नागपुरात झालेल्या एका कार्यक्रमात पूर्णपणे स्वदेशी बनावटीच्या हॅण्डग्रेनेड्सची पहिली खेप संरक्षण मंत्री राजनाथ सिंह यांच्या उपस्थितीत भारतीय लष्कराकडे सोपवली.
भारतात खाजगी उद्योगाने प्रथमच संरक्षण दलासाठी दारुगोळा तयार केला आहे. . सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेडची संपूर्ण मालकीची उपकंपनी इकॉनॉमिक्स एक्सप्लोझिव्ह लिमिटेड (EEL),या कंपनीने मागच्या महिन्यात सशस्त्र दलांना आधुनिक हँड ग्रेनेड पुरवायला सुरुवात केली आहे.
या महत्त्वाच्या कामगिरीबद्दल ईईएलच्या 2,000 एकर संरक्षण उत्पादन सुविधा केंद्रामध्ये हस्तांतरण समारंभ आयोजित करण्यात आला होता. खाजगी उद्योगाने स्फोटकांची पहिली खेप पुरवल्यानिमित्त मंगळवारी संरक्षण मंत्री राजनाथ सिंह यांना ईईएलचे अध्यक्ष एस. एन नुवाल यांनी उत्पादनाची प्रतिकृती भेट दिली. यावेळी लष्कर प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे ,डीआरडीओचे अध्यक्ष डॉ. जी. सतीश रेड्डी, इन्फन्ट्रीचे अध्यक्ष आणि महासंचालक लेफ्टनंट जनरल ए. के. सामंत्र उपस्थित होते.
उपस्थितांना संबोधित करताना, राजनाथ सिंह यांनी मल्टी-मोड हँड ग्रेनेडचे हस्तांतरण सार्वजनिक आणि खाजगी क्षेत्रांमधील वाढत्या सहकार्याचे एक उत्तम उदाहरण आणि संरक्षण उत्पादन क्षेत्रात स्वयंपूर्णतेच्या दिशेने मोठे पाऊल असल्याचे सांगितले. “भारतीय संरक्षण क्षेत्राच्या इतिहासात आजचा दिवस अविस्मरणीय आहे. संरक्षण उत्पादनाच्या बाबतीत आपल्या खाजगी क्षेत्रातील उद्योगांनी चमकदार कामगिरी केली आहे. केवळ संरक्षण उत्पादन क्षेत्रातच नव्हे, तर आपले पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्या संकल्पनेतील ‘आत्मनिर्भर भारत’ साध्य करण्यासाठी देखील हा एक महत्त्वाचा टप्पा आहे, असे ते म्हणाले. कोविड -19 निर्बंध असूनही वेगाने ऑर्डर पूर्ण केल्याबद्दल संरक्षणमंत्र्यांनी डीआरडीओ आणि ईईएलची प्रशंसा केली आणि पुढील खेप लवकरच मिळेल अशी आशा व्यक्त केली.
सशस्त्र दलांच्या सध्याच्या आणि भविष्यातील गरजा पूर्ण करू शकेल अशा स्वयंपूर्ण उद्योगात संरक्षण क्षेत्राचे परिवर्तन करण्यासाठी सरकारने केलेल्या उपाययोजनांचा त्यांनी उल्लेख केला.
राजनाथ सिंह यांनी सरकारच्या आणखी एका उपक्रमाचा विशेष उल्लेख केला,तो म्हणजे डीआरडीओ कडून उद्योगांना तंत्रज्ञान हस्तांतरण. या उपाययोजना संरक्षण उद्योगाचा कणा असल्याचे सांगून त्यांनी डीआरडीओचे इनक्यूबेटर म्हणून कौतुक केले जे तंत्रज्ञानाचे मोफत हस्तांतरण करत आहे.
संरक्षणमंत्र्यांनी इनोव्हेशन्स फॉर डिफेन्स एक्सलन्स (iDEX) चे महत्त्व अधोरेखित करताना सांगितले की एमएसएमई , स्टार्ट-अप, नवसंशो
राजनाथ सिंह यांनी 'मल्टी-मोड ग्रेनेड', 'अर्जुन-मार्क -1' रणगाडा , 'मानवरहित सर्फेस वेहिकल आणि 'सी थ्रू आर्मर' सारखी स्वदेशी उत्पादने विकसित केल्याबद्दल उद्योगक्षेत्राचे कौतुक केले. “अशी उत्पादने फक्त तयार केली जात नाहीत तर मोठ्या प्रमाणात निर्यात देखील केली जातात. 2016-17 ते 2018-19 दरम्
हे नवीन ग्रेनेड्स आतापर्यंत सेवेत असलेल्या पहिल्या महायुद्धाच्या विंटेज डिझाइनच्या ग्रेनेड क्रमांक 36 ची जागा घेतील. एफसीसी एमएमएचजी (FCC MMHGs) ची एक विशिष्ट रचना आहे जी बचावात्मक (विखंडन) आणि आक्रमक (हादरवणे ) पद्धतीने उपयोगासाठी लवचिक आहे. यामध्ये अत्यंत अचूक वेगाने पुढे ढकलण्याची वेळ आहे, वापरात उच्च विश्वासार्हता आहे आणि ते वहनासाठी सुरक्षित ही आहे. या आधुनिक ग्रेनेड्सची रचना संरक्षण संशोधन आणि विकास संस्थेच्या टर्मिनल बॅलिस्टिक संशोधन प्रयोगशाळेने केली आहे.
इकॉनॉमिक एक्सप्लोझिव्ह लिमिटेडने 2016 मध्ये संरक्षण संशोधन आणि विकास संस्थेकडून तंत्रज्ञान घेऊन ,डेटोनिक्समध्ये खूप उच्च दर्जा राखत त्यांनी ते यशस्वीरित्या आत्मसात केले आहे. 2017-18 मध्ये उन्हाळा आणि हिवाळा अशा ऋतूत तसेच मैदानीप्रदेश , वाळवंट आणि अति उंचीवरील प्रदेशात , भारतीय लष्कर आणि डीजीक्यूए अर्थात गुणवत्ता हमी महासंचालनालयाद्वारे याच्या यशस्वीरित्या विस्तृत चाचण्या घेण्यात आल्या. व्यावसायिक प्रस्तावाची विनंती 2019 मध्ये संरक्षण मंत्रालयाद्वारे प्रकाशित करण्यात आली आणि त्यानंतर 01 ऑक्टोबर 2020 रोजी करार संपुष्टात आला. त्यानंतर, पायदळ आणि डीजीक्यूए द्वारे सर्व मापदंडांवर मैदानी प्रदेश, वाळवंट आणि मोठ्या उंचीवरील प्रदेशात प्रथम उत्पादन नमुन्याच्या चाचण्या घेण्यात आल्या.95 % विश्वासार्हतेच्या सामान्य कर्मचारी गुणात्मक आवश्यक च्या (जीएसक्यूआर) तुलनेत ,इकॉनॉमिक एक्सप्लोझिव्ह लिमिटेडने उत्पादित केलेलया ग्रेनेड्समध्ये 99.8% उच्च विश्वासार्हता आहे. स्वदेशी सामग्रीच्या वापरामुळे मल्टी मोड हँड ग्रेनेड्स (एमएमएचजी)ची यशस्विता आणखी वाढली आहे.
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JPS/DW/SK/SC/PK
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नागपुर में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड का पहला बैच भारतीय सेना को सौंपा गया
रक्षा मंत्री ने इसे रक्षा मैन्युफैक्चरिंग में आत्म-निर्भरता प्राप्ति के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी का आदर्श उदाहरण बताया
प्रमुख आकर्षण:
- डीआरडीओ प्रयोगशाला से टेक्नोलॉजी हस्तातंतरण के बाद इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव लिमिटेड कंपनी द्वारा ग्रेनेड बनाया गया
- मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड आक्रामक और रक्षात्मक दोनों मोड में अत्यधिक सटीक और विश्वसनीय ढंग से कार्य करता है
- रक्षा मंत्री ने इसे रक्षा मैन्युफैक्चरिंग में महत्वपूर्ण मील का पत्थर और आत्म-निर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम बताया
- पिछले दो वर्षों में 17,000 करोड़ रुपए से अधिक का रक्षा निर्यात किया गया
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन(डीआरडीओ)के टर्मिनल बैलिस्टिक अनुसंधान प्रयोगशाला से टेक्नोलॉजी हस्तांतरण के बाद इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव लिमिटेड(ईईएल) द्वारा बनाया गया मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड(एमएमएचजी) का पहला बैच नागपुर,महाराष्ट्र में 24 अगस्त,2021 को रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भारतीय सेना को सौंपा गया।
ईईएल के अध्यक्ष श्री एस एन नुवाल ने निजी क्षेत्र से हथियार की पहली डिलीवरी के मौके पर एमएमएचजी की स्केल प्रतिकृति रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह को सौंपी। इस अवसर पर सेनाध्यक्ष जनरल एस एस नरवणे,रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी, इनफैंट्री महानिदेशक ले. जनरल ए के सामंत्रा और अन्य लोग भी उपस्थित थे।
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए सेना को एमएमएचजी सौंपे जाने को सावर्जनिक और निजी क्षेत्र के बीच बढ़ते सहयोग का आदर्शउदाहरण और रक्षा मैन्युफैक्चरिंग में आत्म-निर्भरता की दिशा में बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा “ आज का दिन भारतीय रक्षा क्षेत्र के इतिहास में यादगार दिन है। रक्षा उत्पादन के मामले में हमारा निजी उद्योग परिपक्व हो रहा है। यह न केवल रक्षा मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में मील का पत्थर है बल्कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत के विजन को हासिल करने में भी मील का पत्थर है।” रक्षा मंत्री ने कोविड-19 प्रतिबंधों के बीच ऑर्डर की तेजी से डिलीवरी के लिए डीआरडीओ तथा ईईएल की सराहना की और आशा व्यक्त की कि अगली खेप की डिलीवरी तेजी से होगी।
रक्षा मंत्री ने रक्षा क्षेत्र को सशस्त्र बलों की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने वाले आत्म-निर्भर उद्योग में बदलने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों की जानकारी दी। इन उपायों में उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में डिफेंस इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर की स्थापना, रक्षा उत्पादन और निर्यात संवर्धन नीति (डीपीईपीपी) 2020 का प्रारूप तैयार करना, घरेलू कंपनियों से खरीद के लिए 2021-22 के लिए पूंजी प्राप्ति बजट के अंतर्गत आधुनिकीकरण कोष का 64 प्रतिशत निर्धारित करना , आत्म-निर्भरता और रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 200 रक्षा सामग्रियों की स्वदेशीकरण की सार्थक सूचियों को अधिसूचित करना, आयुध फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) का निगमीकरण, ऑटोमेटिक रूट के अंतर्गत एफडीआई की सीमा 49 से 74 प्रतिशत तथा सरकारी रूट से 74 प्रतिशत से ऊपर करना तथा पूंजी प्राप्ति के लिए बाइ इंडियन -आईडीडीएम(स्वदेश में डिजायन, विकसित और निर्मित) को शीर्ष प्राथमिकता देना शामिल है।
श्री राजनाथ सिंह ने सरकर की एक अन्य पहल यानी डीआरडीओ द्वारा तकनीक हस्तांतरण का विशेष उल्लेख किया। इन उपायों को रक्षा उद्योग की रीढ़ बताते हुए उन्होंने इनक्यूबेटर होने के लिए डीआरडीओ की सराहना की जो निशुल्क टेक्नोलॉजी हस्तांतरण कर रहा है और 450 से अधिक पेटेंटों को परीक्षण सुविधाओं की पहुंच प्रदान कर रहा है। इससे उद्योग न केवल उपयोग के लिए तैयार टेक्नोलॉजी में सक्षम बना है बल्कि समय,ऊर्जा और धन की बचत की है।
रक्षा मंत्री ने रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार(आईडेक्स) के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इसका लक्ष्य आत्म-निर्भरता की प्राप्ति और एमएसएमई, स्टार्ट-अप,व्यक्तिगत अन्वेषकों , अनुसंधान और विकास संस्थानों तथा एकेडेमी को शामिल करके रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों में नवाचार तथा टेक्नोलॉजी विकास को बढ़ावा देना है। इस पहल के अंतर्गत सशस्त्र बलों, सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा प्रतिष्ठानों तथा ओएफबी की कठिनाइयों को चिन्हित किया गया है और समाधान के लिए डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज((डीआईएससी) के माध्यम से उद्यमियों, एमएसएमई, स्टार्ट-अप तथा अन्वेषकों के समक्ष लाया गया है।
श्री राजनाथ सिंह ने 'मल्टी-मोड ग्रेनेड', 'अर्जुन-मार्क-1' टैंक, ' अनमैन्ड सरफेस व्हेकिल ' और ' सी थ्रू आर्मर ' जैसे स्वदेश में विकसित उत्पादों के लिए उद्योग की सराहना की। उन्होंने कहा कि ऐसे उत्पाद न केवल तैयार किए जा रहे हैं बल्कि बड़े पैमान पर इनका निर्यात किया जा रहा है। वर्ष 2016-17 से 2018-19 के दौरान निर्यात प्राधिकृत संख्या 1,210 थी जो पिछले दो वर्षों में बढ़ कर 1,774 हो गई। परिणामस्वरूप पिछले दो वर्षों में 17,000 करोड़ रुपए से अधिक का रक्षा निर्यात हुआ। श्री राजनाथ सिंह ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत जल्द ही न केवल घरेलू उपयोग के लिए रक्षा उत्पाद बनाएगा बल्कि पूरे विश्व के लिए बनाएगा।
ग्रेनेड न केवल अधिक घातक है बल्कि उपयोग में भी सुरक्षित है। इसकी डिजायन विशिष्ट है जो रक्षात्मक(फ्रैगमेंटेशन) तथा आक्रामक( स्टन) मोड में भी काम करता है। इसमें सटीक विलंब समय है ,उपयोग में उच्च विश्वसनीयता है तथा ले जाने में सुरक्षित है। नए ग्रेनेड प्रथम विश्व युद्धके विशिष्ट जायन के ग्रेनेड नंबर 36 का स्थान लेगा जो अभी तक सेवा में है।
ईएल ने भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के लिए 10 लाख आधुनिक हैंड ग्रेनेड की आपूर्ति के लिए 01 अक्टूबर, 2020 को रक्षा मंत्रालय के साथ एक करार पर हस्ताक्षर किया था। डिलीवरी थोक उत्पादन मंजूरी से दो वर्षों में की जाएगी। ईईएल को थोक उत्पादन मंजूरी मार्च,2021 में दी गई थी। पहले आदेश की डिलीवरी पांच महीने के भीतर की गई है।
ईईएल ने 2016 में डीआरडीओ से तकनीक प्राप्त की थी, इसे डेटोनिक्स में उच्च गुणवत्ता बनाए रखते हुए सफलतापूर्वक समाविष्ट किया गया। भारतीय सेना और गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (डीजीक्यूए) ने 2017-18 की गर्मियों और सर्दियों में मैदानों, रेगिस्तान और ऊंचाई पर व्यापक परीक्षण सफलतापूर्वक किया।
एमजी /एएम /एमजी