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गुरुवार, जून २५, २०२०

पशुपालक किसानों की दोगुनी होगी इनकम,मीट और अंडा उत्पादन को बढ़ावा देगी सरकार

Success eggs on Sindhudurg farmers – Village Square
दिल्ली:
केंद्रीय पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन मंत्री गिरिराज सिंह  ने कहा है कि सरकार देश में जैविक मीट (Organic Meat) और जैविक अंडा (Organic Egg) उत्पादन और उसके कारोबार को बढ़ावा देगी. उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से निश्चित ही किसानों की आमदनी (Farmers' Income) में इजाफा होगा.
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश के किसानों की दशा सुधारने और उनकी आमदनी में इजाफा करने में पशुपालन (Animal husbandry) का बहुत ही अहम रोल है और सरकार का फोकस पशुपालन को बढ़ावा देने पर है. उन्होंने बताया कि बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में पशुपालन विभाग के विकास के लिए सरकार ने 15,000 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. पशुपालन विभाग के विकास से देश में 35 लाख लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया होंगे.
उन्होंने बताया कि जब मोदी सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज की घोषणा की थी उस समय पशुपालन और मत्स्य विभाग को 53,000 करोड़ का पैकेज दिया था. यह 15,000 करोड़ का पैकेज आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज से अलग है.
पशुपालन मंत्री ने बताया कि पशुपालन सेक्टर के विकास के लिए मिल्क, फीड और मीट उत्पादन पर ध्यान दिया जाएगा.
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53 करोड़ पशुधन
गिरिराज सिंह ने कहा कि सरकार पशुओं की नस्ल सुधार के लिए बड़े स्तर पर एक योजना शुरू करने जा रही है. इससे दूध उत्पादन में इजाफा होगा. उन्होंने कहा कि देश में इस समय 53 करोड़ लाइव स्टॉक (गाय-भैंस, भेड़-बकरी आदि) है. देश में पशु विकास दर 8.5 फीसदी सालाना है. देश का लाइव स्टॉक 1.56 लाख करोड़ रुपये का है. उन्होंने बताया कि दुनिया में सबसे ज्यादा भैंस भारत में हैं. 

ऑर्गेनिक मीट और अंडा
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत अपने कुल मीट उत्पादन का महज 5 फीसदी ही निर्यात कर पा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार ऑर्गेनिक मीट (Organic Meat) और अंडा के उत्पादन और कारोबार को बढ़ावा देगी. इसके लिए एपीडा (APEDA) के साथ मिलकर योजना बनाई जा रही है.
बता दें कि देश में ऑर्गेनिक मीट की चर्चा लंबे समय से चल रही है. दो साल पहले उत्तराखंड सरकार ने भी जैविक मीट योजना को बढ़ावा दिया था.
उत्तराखण्ड शीप एंड वूल डेवलपमेंट बोर्ड ने ऐसी ही एक योजना को मंजूरी के लिए नेशनल को-ऑपरेटिव डेवलपमेंट कारपोरेशन (एनसीडीसी) को भेजा था.
इस योजना में कहा गया था कि उत्तराखण्ड के पहाड़ी इलाकों में भेड़ और बकरी बुग्याल और जंगल का ही चारा खाती हैं. लिहाजा इनका मांस जैविक मांस के सभी मानकों को पूरा करता है. यहां तक कि चारे के अलावा इन भेड़-बकरियों को जैविक तरीके से ही डी-वार्मिंग करवाई जाती है.
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सोर्स:ज़ी बिज़नेस 

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