एक बदनशिब
घायल शेर 🐅
कैसा नसीब लेकर
आया हूँ
सारा जमाना
मेरे खिलाफ हैं
पराये तो पराये
अपने भी खिलाफ है
अपने कहनेवाले
दुश्मनो के साथ हैं
मेरे अपनों को
अपना बनाने की
उनकी कोशिश भी
मेरे खीलाफ हैं
सारी जिंदगीमे मैने
किसी का बुरा
तो नही किया
लेकिन जिनका
अच्छा किया
वो भी मेरे
खिलाफ है
हमारे अपनोमे
जो पराये है
वो दुश्मनो के साथ है
हर पल मोका मिलतेही
तकलीफ देने मे
उनकाही हात है
वो मुझे निचे
दिखानेकी
हरवक्त कोशिश
करते है
मेरे अपनोंको को भी
अपने बनानेकी
साजीस भी रखते हैं
कितना बदनसीब हूँ मै
लाख कोशिश
करते हुए भी
मै किसी को
जीत नही पाया
ना पराया गैंरो को
ना अपनेवाले अपने को
दिदी, थक गया हूँ मै
बचपन से लेकर
आज तक
मेरी जिंदगी मुझसे
ठकराती आयी है
कभी अपनों से
कभी अपनोमे
छुपे परायेसे
कभी कभी
जानवरसेभी ज्यादा
खतरनाक गैरोंसे
कोई कहता है
तेरा स्वभाव बुरा है
कोई केहता है
तेरा स्वभाव तो
एक अनमोल हिरा है
मुझे भी नही पता
मै कैसा हूँ ?
चाहे मै कैसा भी हूँ
मै तो मै हूँ
अच्छा हूँ या बुरा हूँ
या एक बदनशिब हूँ
क्योंकी बचपनसेही
मै अकेला लढ रहा हूँ
और आगे ही
पुरी ताकदसे
लढता रहूँगा
दिदी, सारे मेरे खीलाफ है
ये मेरा गम है
पर मेरी बच्छी
'अबोली' मेरे साथ है
यह मेरी खुषी है
पिलू , हत्ती जब चलता है
तब कोई जानवर
बहुत भोंकते है
लेकीन पास आनेका
साहस नही करते
क्योंकी भोकना
उनका काम है
और बेहतरीन चलनेवाला
हत्ती उसका नाम है
तो मै क्यों डरु ?
मै तो सारे जंगलको
डरानेवाला शेर हूँ..........
फिर भी एक बदनशिब
घायल शेर हूँ.........🐅
एक घायल शेर हूँ.....🐅
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रामचंद्र सुतार (सर)