भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष चित्रा वाघ की मांग
कोरोना संकट के समय राज्य के अनेक पृथक्करण केंद्रों में महिलाओं पर अत्याचार होने की बात सामने आई है, जिसके बावजूद राज्य सरकार ने महिला मरीजों की सुरक्षा के लिए किसी भी तरह के कदम को नही उठाया है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए नियमावली घोषित करने का केवल खोखला आश्वासन सरकार ने दिया है। सरकार महिलाओं की सुरक्षा को भूल गई है। ऐसी टिप्पणी भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष चित्रा वाघ ने शुक्रवार को मुंबई में की ।
भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित किए गए पत्रकार परिषद में वे बोल रही थी। इस समय प्रदेश मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये, प्रदेश उपाध्यक्ष माधवी नाइक और महिला मोर्चा की दीपाली मोकाशी उपस्थित थी।
श्रीमति वाघ ने कहा की, पनवेल के पृथक्करण केंद्र में महिला पर हुए अत्याचार के पश्चात मुख्यमंत्री ने त्रिसदस्यीय समिति नियुक्त करने की घोषणा की, लेकिन अभी तक किसी भी समिति की स्थापना नहीं हुई है। पनवेल में घटित घटना के पश्चात पुणे, चंद्रपुर, अमरावती, कोल्हापुर के पृथक्करण केंद्रों में भी इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई है। अमरावती के बडनेरा प्रकरण में आरोपी के व्यवहार की शिकायत पहले ही स्टाफ की महिलाओं ने की थी। लेकिन इसके बावजूद इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। इन सभी घटनाओं के पश्चात भी राज्य सरकार किसी भी तरह का ठोस कदम उठाते हुए नहीं दिख रही है। महिला सुरक्षा के लिए नियमावली तैयार करने का आश्वासन देने के बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
पृथक्करण केंद्रों में पुरुष और महिला मरीजों को अलग-अलग रखा जाए। केंद्र के मरीजों की जानकारी केंद्र के प्रमुख स्थानीय प्रशासन को दें, महिला पृथक्करण केंद्रों को पुलिस सुरक्षा दी जाए इस दौरान पुलिस को पीपीई किट दी जाए साथ ही यदि केंद्रों में अत्याचार की घटना घटित हो तो आरोपी सहित वहां पर कार्यरत कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराया जाए इत्यादि मांग उन्होंने इस समय की।
फरवरी में हिंगणघाट में महिला को जीवित जलाने का प्रयास होने के पश्चात सरकार ने अधिवेशन में दिशा कानून के संदर्भ में घोषणा की लेकिन दिन ब दिन महिलाओं पर अत्याचार बढता चले जा रहा है ऐसा लग रहा है जैसे सरकार जनता को 'दिशा' भूल कर रही है। सरकार को अब केवल भाषणों में नहीं बल्कि प्रत्यक्ष कर्म के द्वारा महिला सुरक्षा के विषय में कठोर कदम उठाना चाहिए ऐसा श्रीमती वाघ ने कहा।