अफवाओ ने बडा दी पोल्ट्री
फार्मर की चींता
ललित लांजेवार/नागपुर:
दुनिया भर में हड़कंप मचा देणेवाला कोरोना व्हायरस दिनो दिन लोगो के मन मे भय पैदा कर रहा है.कोरोना व्हायरस किस कारण होता है यह पुख्ता तौर पर किसी को पता नही, मात्र हर एक व्यक्ति इस के अनेक तरह से होने के लिए जिम्मेदार बता रहे है.
लेकिन किसी ने कोरोना वायरस के होने का जिम्मेदार चिकन बताया दिया है,इसी कारण से चिकन प्रेमियो और पोल्ट्री फार्मर मे बडी घबराहट हो बैठी है, लेकिन घबराये नही यह वायरस किसी चिकन मे नही होता है,यह एक अफवा फैलाये जा रही है,जिसे पोल्ट्रीफार्म परेशान हो बैठे है.और ईसी के कारण चिकन प्रेमी का चिकन,मिट याने नॉनव्हेज पर का विश्वास उडता जा रहा है.
बीते कुछ दिनो से कोरोना वायरस चिकन मे से फैलने की बाते हो रही है, लेकिन डॉक्टरोंकी माने तो कोरोना व्हायरस चिकन मे से नही फैलता है, यह एक अफवा फैलाई जा रही है ऐसे मुंबई पशुचिकित्सक महाविद्यालय के मुर्गीपालनशास्त्र विभाग के प्रमुख डॉ. अजित शंकर रानडे इन्होंने बताया हैं.
डॉ. रानडे ने कहा है कि वायरस यह चिकन मे से नही फैलता है, इसका चिकन नॉनव्हेज मिट से कोई संबंध नही है, यह एक अफवाह फैलाई जा रही है, कि व्हायरस चिकन खाने से होता है, लेकिन आज तक ऐसा कहि साबित नही हो पाया है कि व्हायरस चिकन खाने से फैलता है, यह एक अफवा है जिसमे पोल्ट्री फार्मर के मन में भय पैदा हो रहा है. ऐसी अफवा से पोल्ट्री फार्म फार्मिंग धोके मे आने की संभावना है,इसीलिए कोई पोल्ट्रीफार्म यह अफवा पे विश्वास ना रखे, एवं अपने बिजनेस बढाने की लिये प्रयत्न करे.
भारत में एक भी घटना इस प्रकार से नही हुई है. पक्षियों के उत्परिवर्तन की तस्वीरें व्हाट्सएप, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर प्रसारित की जा रही हैं। सही में तो वे रानीखेत बीमारी के प्रकोप की तस्वीरें हैं, जोक करून व्हायरस के होने के लिये बताये जा रही है. ऐसे ”डॉ। रानाडे ने कहा.
भारत में चिकन खाने की विधि अन्य देशों के तुलना में सबसे सुरक्षित है। चिकन और मटन को उबाल कर पकाया जाता है। पानी को बिना 100 डिग्री तापमान के उबाला जाता है। इस तापमान पर, कोई भी वायरस जीवित नहीं रह सकता है। क्योंकि 27 से 45 डिग्री से ऊपर के तापमान पर कोई भी वायरस जिंदा नहीं रह सकता!
इसके अलावा,भारत में, मांसाहारी वस्तुओं को पकाते समय, हल्दी जैसे औषधीय गुणों वाले मसालों का उपयोग किया जाता है। भारत में आज तक चिकन में से एक भी कोरोना वायरस बीमारी में बाधा डालने का कोई रिकॉर्ड नहीं है।
उपभोक्ताओं को उन पोस्टों पर भरोसा नहीं करना चाहिए !जो व्हाट्सएप या फेसबुक जैसे मीडिया में भ्रामक हैं। भारतीय चिकन और अंडे खाने के लिए पूरी तरह से सुरक्षित हैं।
मुर्गी पालन व्यवसाय के बारे में गलत धारणाओं या गलत विचारो के कारण अक्सर ऐसी पोस्ट कुछ विशेष मंडलियों से वायरल होती हैं। यह समझदार पोल्ट्री फॉर्मर एवं चिकन प्रेमी ने इसे स्वीकार नहीं करना चाहिए,ऐसी अपील डॉ.रानाडे ने की।