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शनिवार, ऑगस्ट १८, २०१८

चंद्रपूर का सरकारी अस्पताल हुआ बीमार,ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म होने से..

 ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म होने से मरीजो को हो रही परेशानी 
चंद्रपुर/प्रतिनिधी:
15 अगस्त की रात को करीब 10.30 बजे चंद्रपुर बल्लारशाह मार्ग पर दो दुपहिया वाहनो की आपस मे टक्कर हुई. जिसमे बाबुपेठ निवासी वेकोलि कर्मचारी मनोहर नांदेकर तथा अन्य दुपहिया चालक दोनों गंभीर रूप से घायल हुए, घायलो को आसपास के लोगो ने  सरकारी अस्पताल पहुचाया, 
अस्पताल पहुचने के बाद मनोहर नांदेकर को आपातकाल विभाग लेकर गए तब वह उपस्थित डॉक्टर ने आइसीयू में जगह न होने की वजह से प्रथमोपचार कर वार्ड में रेफर कर दिया, उस वक्त रुग्ण की हालत बहोत नाजुक थी वार्ड में जानें के बाद वहां मौजूद डॉक्टर और नर्स ने उन्हें ऑक्सीजन लगाया लेकिन उसका सिलेंडर खत्म हो गया था, कुछ देर बाद दूसरा सिलेंडर लगाकर ऑक्सीजन लगाया गया लेकिन गनीमत देखो वो भी सिलेंडर खत्म हो गया था, ऑक्सीजन न मिलने की वजह से मनोहर तड़पते रहा फिर कुछ देर बाद उसे पास के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी ओर कुछ ही देर में डॉक्टर ने मनोहर को मृत घोषित कर दिया .
इसिसे ही अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की समस्या को देखने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने कोई पहल अभी तक नहीं की है। केवल पत्राचार से काम चलाया जाता है। जिससे बच्चों व बुजुर्ग मरीजों के साथ ही दुर्घटनाग्रस्त होकर अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की जान पर संकट के बादल मंडरा रहा है।
जिला अस्पताल को स्वास्थ्य सुविधाओं से लैश करने के लिए करोड़ों रुपये फूंक दिए गए जाते हैं,लेकीन ये करोडो किसीं मरीज के वक्त पे इलाज मिलणे के काम न आये तो किस काम के? ऐसा सवाल उपस्थित हो रहा है, कहने को सर्फ जिला अस्पताल है लेकींन अलग अलग कारणामो की वजहसे ये हमशा सुरखीयो मे बना रहता है,
इस संदर्भ में हमने अस्पताल के जिल्हा शल्य चिकित्सक डॉ.राठोड से बात की तो उन्होंने अस्पताल को अधिष्ठाता( डीन ) डॉ.मोरे शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय को सुपुर्द करने की बात कर कर फ़ोन कट किया और जब अधिष्ठाता( डीन )डॉ.मोरे शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय संपर्क किया तो उन्होंने ईस बारे मे बोलनेसे इन्कार कर दिया। इससे फिर एक बार चंद्रपुर का शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय का कारनामा सामने आया है.ऐसें प्रशासन की अनदेखी की  वजहसे हजारो गरीब मरीजो की जान खत्रे मे जा सकती है.

अगस्ट २०१७ मे उत्तरप्रदेश के हॉस्पिटल मैनेजमेंट की बड़ी लापरवाही के चलते 33 बच्चों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। बीआरडी मेडिकल कालेज में इंसेफेलाइटिस का इलाज कराने आये मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिल सकी, जिससे एनएनयू वार्ड और इंसेफेलाइटिस वार्ड में भर्ती 33 बच्चों की मौत हो गई थी, ये मौतें 40 घंटे के दौरान हुई हैं।


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