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गुरुवार, सप्टेंबर २०, २०१८

लंदन की नौकरी छोड़कर बने IPS Officer


आईपीएस हर्ष पोद्दार

नागपूर के पोलीस उपायुक्त परिमंडळ क्र 5 के उपायुक्त पद पर कार्यरत - हर्ष पोद्दार 

                              ये कहाणी है पुराणी; मगर दिलचष्प 

उनका सपना था जमीन से जुड़कर समाज में बदलाव लाना। इसलिए उन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विस को चुना। अब आईपीएस बनकर वे महाराष्ट्र के मालेगांव में युवाओं को न केवल गलत रास्ते पर जाने से बचा रहे हैं बल्कि उन्हें शिक्षित भी कर रहे हैं। अभी हाल ही में महाराष्ट्र में भीमा-कोरेगांव हिंसा की खबर सामने आई थी। इसमें महाराष्ट्र का मराठवाड़ा का इलाका काफी प्रभावित हुआ था और हिंसा फैली थी। लेकिन मालेगांव इस हिंसा से अप्रभावित रहा। उसकी सबसे बड़ी वजह हर्ष के द्वारा की जाने वाली पहलें ही थीं।

देश के प्रतिष्ठित लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई, लंदन से फेलोशिप मिलने के बाद हायर स्टडी और फिर लंदन में ही कॉर्पोरेट फर्म के लिए काम करना। सुनने में कितनी शानदार जिंदगी लगती है न। लेकिन कहानी तो अभी शुरू भी नहीं हुई थी। इतना सब करने के बाद भी हर्ष पोद्दार को भीतर से संतुष्टि नहीं मिल रही थी इसलिए उन्होंने अपना सपना पूरा करने के लिए वापस इंडिया लौटने का फैसला कर लिया। उनका सपना था जमीन से जुड़कर समाज में बदलाव लाना। इसलिए उन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विस को चुना। अब आईपीएस बनकर वे महाराष्ट्र के मालेगांव में युवाओं को न केवल गलत रास्ते पर जाने से बचा रहे हैं बल्कि उन्हें शिक्षित भी किया.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में सबसे दूसरे ज्यादा किशोर अपराधी महाराष्ट्र में हैं। यह आंकड़ा न केवल चौंकाने वाला है बल्कि दुखद भी है। युवाओं का गलत दिशा में जाना देश के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है। इसीलिए मालेगांव के एसपी हर्ष पोद्दार यहां के युवाओं को मार्गदर्शन देकर सही दिशा में ले जा रहे हैं। अक्सर सरकारी विभाग द्वारा स्कूलों और कॉलेजों में बच्चों को समझाने के लिए सेमिनार आयोजित करवाए जाते हैं, लेकिन लेक्चर खत्म होने के बाद सब कुछ वैसा ही हो जाता है और हकीकत में कुछ बदलाव नहीं होता। लेकिन हर्ष युवाओं को सुधारने के लिए अलग तरीका अपनाते हैं।
जब वे पुलिस की ट्रेनिंग के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल अकादमी में थे तो वहां उन्होंने नेत्रहीन बच्चों के लिए एक प्रॉजेक्ट वर्कशॉप की थी। यह प्रॉजेक्ट अपने आप में खास था क्योंकि इसमें बच्चों को छोटे-छोटे ग्रुप में बांट दिया गया और फिर उनसे कहा गया कि अगर दिव्यांगों के लिए कानून बनाना पड़े तो वे किन बातों को उसमें शामिल करेंगे। उन्होंने देखा कि बच्चों के भीतर उस विषय की कितनी गहरी समझ है जिस बारे में उन्हें रोज मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं। उन्होंने यही तरीका महाराष्ट्र आकर अपनाया। पोस्टिंग के कुछ ही दिनों बाद ही राज्य के डीजीपी ने पुलिसकर्मियों से अपराध में कमी लाने और युवाओं को सुधारने के लिए नए आइडियाज मांगे तो उनके मन में यही आइडिया आया।
उनका आइडिया स्वीकारा गया और इसके बाद राज्य में यूथ पार्लियामेंट चैंपियनशिप शुरू हुई। उस वक्त वह करवीर के एएसपी थे। इस कॉन्सेप्ट का मुख्य मकसद युवाओं को अपराध के रास्ते से दूर करना था। क्योंकि कई सारे माफिया और गुंडे अपने फायदे के लिए युवाओं को गलत दिशा में ले जा रहे थे। हर्ष के निर्देशन में यह पायलट प्रॉजेक्ट औरंगाबाद के नाथ वैली स्कूल और औरंगाबाद पब्लिक स्कूल में शुरू हुआ। स्कूल से चुने कुछ बच्चों को तीन टीम में बांटा गया और उन्हें अपराध के कुछ विषय जैसे, यौन उत्पीड़न, आतंकवाद, नक्सलवाद, भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितता दिए गए।
हर टीम को सरकार, पुलिस विभाग और आम जनता जैसी जिम्मेदारी दी गई। हर टीम से एक वक्ता को बुलाया गया और दिए गए विषय पर बोलने को कहा गया। उसे बताना था कि समाज में इन सारी बुराइयों को कैसे रोका जाए। उन्हें अपनी तरफ से समाधान प्रस्तुत करना था। जब ये अभियान पूरा हुआ तो पुलिस विभाग ने पाया कि बच्चों में इन सारी बुराइयों के बारे में अच्छी समझ है। खासकर उन बच्चों में जो मध्यमवर्गीय या निचले तबके के परिवार से आते हैं। इस तरह के क्रियाकलाप से बच्चों में अपराध करने की संभावित प्रवृत्ति में गिरावट तो आई ही साथ ही वे अपने आस पड़ोस के लोगों को भी जागरूक करने लगे।

महाराष्ट्र के सीएम से पुरस्कृत होते हर्ष


हर्ष के आइडिया पर काम करने के बाद सफलता मिली तो पुलिस विभाग और उत्साहित हुआ और फिर महाराष्ट्र के बाकी जिलों में भी इसे लागू किया गया। तब से लेकर अब तक लगभग 42,000 युवाओं को इस अभियान से जोड़ा जा चुका है। इससे सबसे बड़ा फायदा ये हो रहा है कि बच्चों के अपराध करने की संभावना काफी कम हो जाएगी। इसके अलावा भी पुलिस विभाग की ओर से कई तरह की पहलें की जा रही हैं जिससे युवाओं में अपराध करने की प्रवृत्ति को रोका जा सके। पुलिस अधिकारी हर्ष ने एक और पहल शुरू की है जिसका नाम 'उड़ान' है। इसके तहत बच्चों को एंट्रेंस एग्जाम के लिए कोचिंग, करियर काउंसिलिंग प्रदान की जाती है।
अभी हाल ही में महाराष्ट्र में भीमा-कोरेगांव हिंसा की खबर सामने आई थी। इसमें महाराष्ट्र का मराठवाड़ा का इलाका काफी प्रभावित हुआ था और हिंसा फैली थी। लेकिन मालेगांव इस हिंसा से अप्रभावित रहा। उसकी सबसे बड़ी वजह हर्ष के द्वारा की जाने वाली पहलें ही थीं। मालेगांव में दलित, मुस्लिम और अपर कास्ट लोगों की काफी जनसंख्या है इसलिए यहां स्थिति संभालना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन हर्ष ने अपना काम बखूबी निभाया। बाकी जिलों में इस हिंसा से काफी तबाही हुई और सांप्रदायिक तनाव बरकरार रहा। हर्ष ने पुलिस फोर्स को मजबूत करने के लिए पुलिस की गाड़ियों में सीसीटीवी कैमरे भी लगवाए हैं।
हर्ष ने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ जुडिशियल साइंसेज कोलकाता से ग्रैजुएशन किया था। इसके बाद उन्हें यूके गवर्नमेंट की तरफ से दी जाने वाली प्रतिष्ठित शेवनिंग स्कॉलरशिप मिली। फिर उन्होंने ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल ऐंड कॉन्स्टीट्यूशनल लॉ में मास्टर्स किया। इसके बाद उन्हें क्लिनफॉर्ड कंपना में कॉर्पोरेट वकील के तौर पर नौकरी मिली। लेकिन उस नौकरी में उन्हें मजा नहीं आ रहा था इसलिए 2010 में वे वापस भारत लौट आए और सिविल सर्विस की तैयारी करने लगे। उनका सेलेक्शन हुआ लेकिन आईआऱएस सर्विस मिली। उन्होंने 2013 में फिर से एग्जाम दिया और 361वीं रैंक हासिल की। उन्हें आईपीएस सर्विस मिली और महाराष्ट्र कैडर में नौकरी करने का मौका। उस मौके को वे पूरी जिम्मेदारी से निभा रहे हैं।


- सस्नेह आभार - 



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